जय मां वैष्णो देवी🚩
हेलो दोस्तों, कैसे हो आप सब लोग। आशा करता हूं, आप सब ठीक होंगे। आज हम अपने ब्लॉग में माता वैष्णो देवी की पूरी यात्रा के बारे में बताने जा रहे हैं। जैसा कि आप सब जानते हैं की माता वैष्णो देवी की पूरी यात्रा //mata Vaishno devi ki yatra// करने का सुख हर किसी के नसीब में नहीं होता है। जिनको माता रानी बुलाती है, उनका किस्मत खुलता है और वे माता वैष्णो देवी के धाम में उनके दर्शन के लिए पधारते हैं।
आज हम इस आर्टिकल में माता वैष्णो देवी की पूरी यात्रा के बारे में बताएंगे, कि किस तरह यात्रा करें? और कब यात्रा करना अच्छा रहता है? किस समय माता रानी के यहां श्रद्धालुओं की भीड़ जमा रहती है?
आपको माता वैष्णो देवी के बारे में जो जानकारी देने जा रहे हैं वह जानकारी शायद ही आपको कहीं मिली होगी हम हमारे इस आर्टिकल में माता वैष्णो देवी की पूरी यात्रा के बारे में बताएंगे और यह भी बताएंगे कि किस तरह माता रानी उस गुफा में विराजमान हुई।
रूपरेखा:-
1) माता वैष्णो देवी के दर्शन।
2) माता के यहां जाने का रास्ता।
3) माता रानी का भवन।
4) माता के प्रति श्रद्धा।
5) माता के द्वारा दुखों का निवारण।
6) माता के द्वारा भैरव राक्षस का वध।
1) माता वैष्णो देवी के दर्शन:-
जैसा कि हमने ऊपर बताया, कि माता रानी के दर्शन करना सौभाग्य की बात है। यह हर किसी के नसीब में नहीं होता है। माता वैष्णो देवी के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। माता रानी अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करती हैं। मां के दरबार में आए श्रद्धालुओं की सुख सुविधाओं की पूरी व्यवस्था की जाती है। क्योंकि माता रानी का भवन बहुत ऊंचाई पर है तो श्रद्धालु बिना हिचकीचाये माता रानी के दर्शन करने के लिए भवन तक चढ़ जाते हैं। और दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करते हैं, जिससे माता रानी की असीम अनुकंपा अपने भक्तों पर बनी रहती है।
2) माता रानी के यहां जाने का रास्ता:-
जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया, कि माता रानी का भवन दुर्गम चोटी पर स्थित है। जोकि जम्मू कश्मीर में है। माता वैष्णो देवी तीर्थ तो है। जोकि बहुत ऊंचाई पर है। माता वैष्णो देवी धार्मिक स्थल जम्मू कश्मीर में आता है।और बेस कैंप कटरा से माता का दरबार तक पहुंचने के लिए करीब 13km तक सीढ़ियों की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। माता रानी के दरबार को भवन कहा जाता है। माता वैष्णो देवी के मंदिर तक पहुंचने के लिए पैदल चढ़ाई करना जरूरी नहीं है। क्योंकि माता रानी के दरबार भवन तक पहुंचने के लिए बहुत सारी पार्टियां घोड़े जैसी व्यवस्थाएं भी रहती हैं। जो श्रद्धालु इतनी सारी सीढ़ियां चढ़ने में सक्षम नहीं हो पाते हैं उनके लिए एक अलग मार्ग बनाया गया है जिस पर पालकिया और घोड़े चढ़ सकते हैं। और इन्हीं के साथ यदि कोई व्यक्ति ज्यादा खर्च उठाने में सक्षम है तो उनके लिए हेलीकॉप्टर जैसी सुविधाएं भी होती है।
3) माता रानी का भवन:-
जम्मू कश्मीर के कटरा से थोड़ा दूर माता रानी का यहां भवन अत्यंत विशाल और दुर्लभ है। बहुत दूर-दूर से लोग माता के दर्शन करने के लिए माता के भवन में आते हैं। माता रानी के भवन तक पहुंचने के लिए लगभग 13 किलोमीटर तक पैदल चलना पढ़ता है। माता रानी के भवन की एक झलक हम आपको नीचे दिखाएंगे। वैसे तो माता रानी गुफा के अंदर विराजमान है लेकिन श्रद्धालुओं ने सुविधानसार एक भवन निर्मित किया। माता रानी के इस भवन में बहुत सारी सुख सुविधाओं से सुसज्जित धर्मशालाएं बनाई गई है। जहां पर एक साथ बहुत सारे श्रद्धालु विश्राम कर सकते हैं।
4) माता के प्रति श्रद्धा:-
माता के प्रति श्रद्धा रखने वाले बहुत सारे श्रद्धालु माता रानी के दर्शन करने के लिए अपने सारे काम धाम छोड़ कर माता रानी के दर्शन करने के लिए कटरा में स्थित माता रानी के भवन में आते हैं। और दर्शन पाकर जीवन में अत्यंत सुख और शांति अनुभव करते हैं। माता रानी अपने श्रद्धालुओं को उनकी आस्था का उचित वरदान देती हैं और उनके जीवन में अपार सुख और समृद्धि का रास्ता खोल देती है। जिससे श्रद्धालु प्रसन्न होकर आत्म विभोर हो जाता है। और अपने श्रद्धालुओं को खुश देखकर मां वैष्णो देवी भी खुश रहती है। वो कहते हैं ना बेटा खुश तो मां भी खुश।
5) माता के द्वारा दुखों का निवारण:-
माता रानी के द्वारा अपने सारे श्रद्धालुओं के दुखों का निवारण होता है। माता रानी अपने संतानों को कभी भी निराश नहीं होने देती है। वह अपने सारे भक्तों के सुखो वह दुखों का विशेष रुप से ध्यान रखती है। वाह अपने सारे भक्तों पर अपनी असीम कृपा बनाए रखती हैं। मां वैष्णो देवी की असीम कृपा से उनके सारे श्रद्धालुओं के घर में सुख शांति का वास रहता है और निराशा उन्हें छू भी नहीं सकती है।
6) माता के द्वारा भैरव राक्षस का वध:-
जैसा कि हम सब जानते हैं मां वैष्णो देवी अपने भक्तों को कभी भी निराश नहीं करती है। एक बार उनके किसी एक भक्तों पर दुखों का संकट आ गया था। तब एक तांत्रिक बाबा ने उन्हें कन्या को भोजन कराने के लिए कहा , तो उन्होंने नौ कन्या को अपने घर पर बुलाया और उन्हें भोजन कराया और भेंट भी दी। और फिर एक कन्या ने आशीर्वाद देते हुए उन्हें कहा कि आप एक विशाल भंडारा करवाईए। उन्होंने उस कन्या की बात सुनकर अपने घर में एक विशाल भंडारा आयोजित किया और पूरे नगर को आमंत्रित किया। उस कन्या ने भैरव राक्षस नाम के तांत्रिक बाबा को भी आमंत्रित करने के लिए कहा। कन्या के कहे अनुसार भक्त ने भोजन और भोजन करने की व्यवस्था हुई विशाल भंडारा आयोजित किया ।और अब भंडारे का दिन आया सभी लोग आने लगे लेकिन भक्तों की परेशानी बढ़ रही थी क्योंकि उसके पास ना तो खिलाने के लिए खाना था और ना ही दिखाने के लिए जगह। भंडारे मे आमंत्रित किए गए सभी लोग आने लगे तब भक्तों ने माता वैष्णो देवी से प्रार्थना की और उनके सामने सर झुका कर बैठ गए।

कुछ ही देर में भक्तों ने पीछे मुड़कर देखा तो सारे श्रद्धालु लेटे हुए थे और उनका घर भी विशाल हो गया था। और सब के लिए खाना भी तैयार था। यह देख कर भैरव राक्षस अचंभित हुआ और इतनी गरीब स्थिति होते हुए भी इतनी सारी व्यवस्था करने का राज पूछा। तब माता रानी अदृश्य हो गई। तो भैरव राक्षस भी उनका पीछा करने लगा। माता रानी जाकर गुफा में विश्राम करने लगी और बाहर पहरे के लिए पवन पुत्र हनुमान जी को रखा। उनकी प्यास बुझाने के लिए माता रानी ने अपने तीर से जमीन में एक धारा प्रवाहित की और अपने बाल धोए। जिसका नाम बाल गंगा पड़ा। भैरव राक्षस माता को ढूंढते हुए गुफा तक पहुंचा तब हनुमानजी और राक्षस में युद्ध छिड़ गया तब माता रानी बाहर आए और अपने त्रिशूल से प्रहार करते हुए भैरव राक्षस का सर धड़ से अलग कर दिया। और इस तरह माता ने भैरव राक्षस का संहार किया।
जय माता दी।
Read Also:- भारतीय संस्कृति और विदेशी संस्कृति में अंतर।इस तरह माता वैष्णो देवी ने भैरवनाथ का संहार करके संसार को उसके आतंक से मुक्त किया और अपने भक्तों का विश्वास कायम रखा। इस तरह हमने हमारे किस आर्टिकल में माता वैष्णो देवी की यात्रा, उनके द्वारा उनके भक्तों की रक्षा, तथा उन्होंने किस तरह भैरवनाथ का संहार किया, यह सब बताया गया है। अब इसी के साथ हम अपने आर्टिकल को यहीं पर विराम देकर इसे पूरा करते हैं और इसी के साथ हम आशा करते हैं कि आप कभी ना कभी वैष्णो देवी धाम अवश्य जाएंगे। और माता के दर्शन करके अपने जीवन को सार्थक बनाएंगे। अब इसी के साथ धन्यवाद और ह्रदय के अंतर्मन से आप सभी का हार्दिक आभार।
धन्यवाद्
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